Thursday 6 September 2012

shayri

वोह जमाना कुछ और था.. तेरा मेरा रिश्ता पुराना कुछ और था..
होमेवोर्क के बहाने , तुजसे मिलने का बहाना कुछ और था.

रिसेस में पराठो का चुपके से खिलाना वोह मासूम याराना कुछ और था..
प्यार में दोस्ती. दोस्ती में प्यार.. लब्जो का वोह तराना कुछ और था..

एक अरसे बाद निकला था तेरी गली से जो रोशन हुआ करती थी तेरी हसी से
कदम बस ठहर से गये साँसे दो पल को जैसे थम सी गयी

फिर दिल को ये गुमान आयावोह किस्सा पुराना कुछ और था
तेरा मेरा रिश्ता पुराना कुछ और थावोह जमाना कुछ और था..

वोह जमाना कुछ और था..वोह जमाना कुछ और था..

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